Lekhika Ranchi

Add To collaction

लोककथा संग्रह

लोककथ़ाएँ

अजुआ बफौल उत्तराखंड की लोक-कथा

बहुत पुरानी बात है, हिमालय के पर्वतों में पंच देवता यात्रा पर निकले थे। एक जगह विश्राम करते करते वे मंनोरंजन हेतु क्रीड़ा करने लगें। उन्होने चार गोले बनाये और चार दिशाओं में फेंके। उन गोलों से चार मल्लों ( विशालकाय बलशाली व्यक्ति) का जन्म हुआ। उन्होने पंचदेवताओं से अपनी उत्पत्ति का कारण पूछा। पंचदेवताओं ने कहा - हम तो मंनोरंजन कर रहे थे उसी में तुम्हारी उत्पत्ति हुई है। मल्लों ने कहा कि हमें कोई कार्य सौपा जाए। पंचदेवताओं ने कहा कि जाओं दुनिया का भ्रमण करों अपने जैसे बलशाली मल्लों से युद्ध करों और अपनी ताकत का परीक्षण करों।

चारों मल्लों ने नामचीन मल्लों को चुनौती दी और उन्हे परास्त कर दिया। वे सारे जग में अपनी ताकत का परीक्षण कर वापस पंचदेवताओं के पास लौटे और अपने विगत सारे अनुभव उन्हे बताए। उन्होने कहा कि अब वे चारों थक चुके है। कहीं भी उन्हे पर्याप्त भोजन नहीं मिल रहा है। अब पंचदेवता ही उनके भोजन की व्यवस्था करें । पंच देवता परेशान हो गये कि इन मल्लों की भोजन पूर्ति कैसे की जाये। उन्हे मल्लों से कहा- हम तो जोगी है, भिक्षा मांगकर जीवन व्यतीत करते है। कभी भिक्षा मिल जाती है कभी नहीं मिलती तो ऐसे ही दिन काटना पड़ता है। तुम ऐसा करो चंपावत के पास राजा कालीचन्द्र का साम्राज्य है , उसके पास तुम्हारे जैसे ही मल्ल है जिनके खाने पीने की वह उचित व्यवस्था करता है। उसे और मल्लों की आवश्यकता है। तुम उनके दरबार में चले जाओ।

कालीचन्द्र के दरबार में 22 बफौल भाई रहते थे। वे काफी बलशाली थे। उनकी एक पत्नी थी, जिसका नाम दूधकेला था। वे अपनी पत्नी से बहुत प्यार करते थे। पुरे राज्य में उनके प्रेम काफी मशहूर था। राजा कालीचन्द्र की रानी को उनका प्रेम रास नहीं आता था। यह भी कहा जाता है कि रानी की दृष्टि बफौल भाइयों पर थीं । वह चाहती थी कि सारे बफौल भाई राजा को मारकर स्वयं वहां के राजा बन जाये और वो उनकी रानी बनकर रहे। परन्तु बफौल भाइयों ने ऐसा करने से मना कर दिया था। रानी को भय था कि वे इस बात को राजा को न बता दे , रानी ने एक चाल चली। उसने राजा कालीचन्द्र से यह कहा कि बफौल रानी पर कुदृष्टि रखते हैं। जिससे दरबार में असहज महसूस करती है।

राजा कालीचन्द्र रानी के प्रति ऐसा व्यवहार कैसे सहन करता। उसने बफौलों को मृत्युदण्ड का आदेश पारित कर दिया। उसी वक्त वहां चारों मल्ल दरबार पर राजा से रखने की विनति कर रहे थे। राजा ने आदेश दिया कि अगर वे चारों उन 22 बफौल भाइयों का सर काटकर लायेंगें तो वे उन्हे दरबार में रखेगा। सभी जानते थे कि बफौल भाई गलत विचार वाले व्यक्ति नहीं थे। वे तो सिर्फ अपनी पत्नी से प्रेम करते थे। पर राजा ने किसी की नहीं सुनी और चारों मल्लों को आदेश दे दिया। चारों मल्लों ने बारी बारी से युद्ध करके बाइसों बफौलों को मौत के घाट उतार दिया।

अपने पतियों की मृत्यु से दुखी दूधकेला सती होने के लिये तैयारी कर रही थी कि उसके गर्भ से आवाज आई कि मां, तुम अपने आप को क्यूं सती कर रही हो। तुम्हारे साथ मेरी भी मृत्यु हो जायेगी। ऐसे तो बफौल वंश खत्म हो जायेगा। अपने गर्भ में पल रहे सात माह के बच्चे की यह बात सुन कर उसने सती होने का विचार बदल दिया, उसे अपने जीने की एक उम्मीद उस बच्चे में नजर आई।

दूधकेला ने बच्चे को जन्म दिया और उसे अजुआ बफौल नाम दिया। धीरे धीरे वक्त बीतते गया। अजू बफौल बड़ा होने लगा उसकी ताकत की चारों तरफ चर्चा होने लगी। उधर चारों मल्लों की खानापूर्ति सभी गांव वाले परेशान हो गये थे। हद से ज्यादा खाना, दूध , दही चारों मल्ल अपने लिये ले जाते थे। उनसे कोई कुछ नहीं कह पाता था। अजू बफौल तक जब यह बात पहुंची तब उसने मां से उन चारों मल्लों के बारे में पूछा , तब दूधकेला ने बताया कि इन्ही चारों ने तुम्हारे पिता की हत्या की थी। यह बात सुन के अजू बफौल का खून खौल गया। उसने चारों मल्लों को युद्ध के लिये ललकारा। उनके बीच काफी भयंकर युद्ध चला और बारी बारी से अजू बफौल ने चारों मल्लों को मौत के घाट उतार दिया। उनको मारने के बाद ही अजू बफौल का गुस्सा शांत हुआ। इस तरह गांव वालों ने भी चैन की सांस ली। अजू बफौल ने राजा को भी उसके रानी के गलत आरोपों का बखान किया। और बिना कोई जांच किये और बाइसों बफौलों की बात सुने बिना उन्हे मारने का दण्ड हेतु खरीकोटी सुनाई। राजा ने रानी से बल पूर्वक पूछने के बाद रानी ने भी सच बोल दिया और रानी को दासी बना दिया।

****
साभारः लोककथाओं से संकलित।

   3
2 Comments

Farhat

25-Nov-2021 03:06 AM

Good

Reply

Fiza Tanvi

13-Nov-2021 03:01 PM

Good

Reply